lalita devi

।। मनोकामना मंदिर ।।

महाविद्या सिद्धपीठ


।। चारों पुरुषार्थों की सिद्धि का समयबद्ध सोपान ।
मन्त्रजाप-त्राटक-दीपबलि से जन-जन का कल्याण ।।

मंदिर = मन + दर (द्वार) - जहां हम अपने मन का द्वार खोलते हैं, वह स्थान मंदिर है। मन = म (मम अर्थात् मैं) + न (नहीं) - जहां जाकर हमारा ‘मैं’ यानि अंहकार ‘न’ रहे वह स्थान मंदिर है। तात्पर्य यह कि ईश्वर हमारे मन में ही है, अतः जहां ‘मैं’ ‘न’ रह कर केवलपञ्चमहाभूतेश्वर (क्षित्यपतेजोमरुदव्योम ≠ भ- भूमि / ग- गगन/ व- वायु/ अ- अग्नि/ न- नीर = भगवान) हो वह स्थान मंदिर है।

तंत्रागम के सातों लक्षण - सृष्टि, प्रत्यय, देवार्चन, सर्वसाधन, पुरश्चरण (सिद्धि प्राप्ति के उपाय), षट्कर्म प्रयोग तथाविपत्तिनिवारण के साधन आदि प्रायौगिक एवं व्यवहारिक क्रियाएं ही है, जिनका महाभारतकालीन हस्ताक्षर, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा स्थापित, दिल्ली स्थित, कालकाजी, सनातन शक्तिपीठ कामाख्या, मध्यकालीन समावेशन खजुराहो स्थित पश्चिमी समूह मंदिर और वर्तमान में कामाख्या तंत्र का समसामयिक निरुपम, खजुराहो स्थित ।। ललिता दिव्याश्रम ।। है।

षडाम्नाय साधक, कौलाचार्य स्वामी सुमनानन्द नाथ (डाॅ. सुमन कुमार दास) द्वारा 2012 में स्थापित, पीठाधीश्वरी भगवती ललिता त्रिपुरसुंदरी (मां कामाख्या) के विग्रह में एवं पीठाधीश्वर कामेश्वर महादेव (श्रीयंत्र वेष्टित शिवलिंग) के विग्रह में प्रतिष्ठित, यह महाविद्या सिद्धपीठ, अपने आप में, वैदिक तंत्रागम का अप्रतिम सिद्धाश्रम है -

प्रवेशद्वार पर दोनों सहचरियां - जया व विजया (पहली बार मूर्तरूप), बाह्य परिक्रमा में पितृदेवता, गुरु, सप्तर्षि, कुलदेवता (पहली बार मूर्तरूप, प्रयोग एवं आज्ञानुग्रह), बाह्यांतर परिक्रमा में दस महाविद्या, नवदुर्गा, अंतर परिक्रमा में चारों प्रवेशद्वारों पर चार द्वारपाल (बटुक, योगिनी, गणपति व क्षेत्रपाल), अभ्यंतर परिक्रमा में १५ नित्याकला शक्तियां (पहली बार मूर्तरूप), वाहनादि सहित ५१ शक्तियों के विग्रह के साथ सभी देवताओं के यंत्रमंत्र से सुप्रतिष्ठित, सुसज्जित, सुनियोजित तंत्रागम महाविद्या सिद्धपीठ है, जो मनोकामना मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

तंत्रागम की दृष्टि से षड-आम्नाय सनातन-पीठ पशुपतिनाथ, धर्म-पीठ अमरनाथ, अर्थ-पीठ कालीघाट, काम-पीठ कामाख्या और मोक्ष-पीठ विश्वनाथ है। कामपीठ के योगिनी-कुल का परिमार्जन राशिचक्र में जहां - तंत्र-पीठ कामाख्या है, वहीं “अर्थपीठ” व “काम-पीठ” दोनों कुलाकुल चक्र में, मंत्र-पीठयंत्र-पीठ क्रमशःललिता दिव्याश्रम स्थित मन्त्रयोगाश्रम मनोकामना मंदिर है।

समस्त आगमोक्त निगमोक्त कर्मकाण्ड का प्रामाणिक निरूपण महाविद्या सिद्धपीठ (मनोकामना मंदिर) में होता है।

तीन प्रकार के मन्नत विधान से भक्तों, श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं भगवती ललिता त्रिपुरसुंदरी (मां कामाख्या) की कृपा से पूरी होती है।

वहीं ४१-दिवसीय मंत्रयोग के माध्यम से आध्यात्मिक सशक्तिकरण, त्रिविध ताप (कष्ट) निवारण, कार्यसिद्धि, संकल्पसिद्धि, इष्टसिद्धि तथा आत्मसाक्षात्कार आदि का प्रामाणिक, समयबद्ध व नवोन्मेषी मन्त्र साधना, ललिता दिव्याश्रमस्थित मन्त्रयोगाश्रम एवं मन्त्रयोगारण्य तथा देश विदेश में चल रहे मंत्रयोग साधना केंद्र के माध्यम से सर्वसुलभ, सर्वधर्म सम्मत, सर्वोपकारकरणाय २१-४२-४५ (३-६-९) दिवसीय मंत्रयोग नवाचार का विशुद्ध वैदिक-वैज्ञानिक निरूपण होता है।


।। जय भगवति।।

।। ललिता दिव्याश्रम ।।

।। ललिता दिव्याश्रम ।।

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